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“सही मित्र आपकी सफलता की सीढ़ी हैं – ज्योतिष से पहचानें कौन आपके साथ है।”
मित्रों की संगति और संगति दोष: वैदिक ज्योतिष शास्त्र से समझिए आपकी संगति का प्रभाव
जैसा संग, वैसा रंग—यह कहावत यूँ ही प्रसिद्ध नहीं हुई। मित्रों की संगति हमारे जीवन को सकारात्मक ऊंचाइयों तक ले जा सकती है, या फिर गलत मार्ग पर भी धकेल सकती है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में संगति यानी साथियों के प्रभाव का गहरा विश्लेषण किया गया है, जिससे यह जाना जा सकता है कि व्यक्ति पर मित्रों की कैसी प्रवृत्ति का प्रभाव होगा – उत्तम या हानिकारक।
एकादश भाव (लाभ भाव) कुंडली में मित्रों, सामाजिक संपर्कों और समूहों से जुड़ा होता है। यदि इस भाव में शुभ ग्रह जैसे गुरु, बुध या शुक्र हों, या इनकी दृष्टि हो, तो व्यक्ति को सच्चे, सहयोगी और मार्गदर्शक मित्र मिलते हैं। ऐसे लोग व्यक्ति को सकारात्मकता, प्रेरणा और अवसर प्रदान करते हैं।
लेकिन यदि राहु, केतु या शनि जैसे ग्रह एकादश भाव में हों या इनकी दृष्टि हो, तो व्यक्ति गलत संगति में पड़ सकता है—जैसे नशे की आदतें, अपराधी प्रवृत्तियाँ या आलस्य और असंतुलन। विशेषतः यदि तीसरे और छठे भाव में भी पाप ग्रहों का प्रभाव हो, तो व्यक्ति अपने मित्रों के बहकावे में आकर गलत निर्णय लेने लगता है।
संगति दोष से बचने के लिए वैदिक उपाय जैसे मंत्र जाप, ग्रह शांति, और शुभ ग्रहों को प्रबल करने के उपाय किए जा सकते हैं। साथ ही, सही समय पर मार्गदर्शन लेकर व्यक्ति अपनी मित्र मंडली और सामाजिक प्रभाव को बेहतर बना सकता है।
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